शिक्षा विभाग की लापरवाही उजागर: 580 सीआरपी–बीआरपी को तीन महीने से वेतन नहीं, 69 शिक्षकों का औपबंधन भी अटका
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शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर से सवालों के घेरे में है। विभाग द्वारा सितंबर में नियुक्त किए गए 580 सीआरपी व बीआरपी को 3 महीने बीतने के बाद भी वेतन नहीं मिला है। वहीं, प्रदेश के 69 औपबंधिक सहायक अध्यापक टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद अब तक औपबंधन हटने का इंतजार भी कर रहे हैं, जिससे उन्हें वेतनवृद्धि का लाभ ही नहीं मिल पा रहा है।
वर्षों बाद आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से हुई सीआरपी–बीआरपी भर्ती में 955 पदों में से 580 नियुक्तियाँ भी की गई थीं। विभाग का कहना है कि एमओयू के अनुसार पहले आउटसोर्स कंपनी वेतन भी जारी करेगी, जिसके बाद विभाग कंपनी को भुगतान भी करेगा। लेकिन 3 महीने से वेतन अटका होने से कर्मचारी आक्रोशित हैं। भाजपा नेता रविंद्र जुगरान इस मुद्दे को अपर शिक्षा सचिव एमएम सेमवाल के समक्ष भी उठा चुके हैं।
इधर, 2001–2003 में नियुक्त 802 शिक्षा मित्रों को 2015 में औपबंधिक सहायक अध्यापक भी बनाया गया था। टीईटी पास करने पर इनसे औपबंधन हटाने व वेतनवृद्धि का आश्वासन भी दिया गया था। लेकिन 69 शिक्षक टीईटी पास करने के एक वर्ष बाद भी लाभ से वंचित भी हैं। शिक्षक संगठनों का कहना है कि इनकी नियुक्ति के समय आरटीई एक्ट भी लागू नहीं था, इसलिए टीईटी अनिवार्य नहीं होना चाहिए।
समायोजित प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ललित द्विवेदी ने आरोप लगाया कि कुछ शिक्षकों का औपबंधन हटाकर उन्हें वेतनवृद्धि का लाभ भी दिया गया, जबकि बाकी को नजरअंदाज भी कर दिया गया है।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल सती ने बताया कि वेतन जारी करने के लिए आउटसोर्स एजेंसी को पत्र भी भेजा गया है। वहीं, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक अजय कुमार नौडियाल का कहना है कि टीईटी कर चुके औपबंधिक सहायक अध्यापकों को भर्ती में अंकों की वरीयता भी दी जा रही है और मेरिट में आने के बाद ही औपबंधन भी हटाया जाएगा।
शिक्षा विभाग की देरी व उलझी प्रक्रिया से कर्मचारी और शिक्षक दोनों परेशान हैं, और विभाग पर पारदर्शिता को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं।



