हरिद्वार डिवीजन में फिर हाथी की मौत: बिजली के खंभे से करंट लगने की आशंका, वन विभाग जांच में जुटा

उत्तराखंड के हरिद्वार वन डिवीजन से एक और हाथी की मौत की खबर सामने आई है। यह घटना इसलिए बेहद चिंताजनक है क्योंकि पिछले एक हफ्ते के भीतर यह चौथी हाथी की मौत है। खास बात यह है कि यह घटना उस रिपोर्ट के महज़ 24 घंटे बाद सामने आई है, जिसमें वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने देश में पहली बार डीएनए आधारित हाथी गणना के आंकड़े जारी किए थे।
जानकारी के मुताबिक, हाथी की मौत बहादराबाद क्षेत्र में हुई। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि 45 साल के इस युवा हाथी की मौत बिजली के खंभे में करंट लगने से हुई। पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ आरके मिश्रा ने पुष्टि की है कि हाथी सपोर्टिव वायर के संपर्क में आया, जिससे खंभा झुक गया और अंततः करंट से उसकी जान चली गई। वन विभाग ने यह भी पाया है कि कई किसान बिना अनुमति अपने खेतों में बिजली की तारें बिछा रहे हैं, जो वन्यजीवों के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं। विभाग ने ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।
हाथी के शव का पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है और विसरा सैंपल जांच के लिए भेजा गया है, ताकि मौत के सटीक कारणों की पुष्टि हो सके। घटना की गंभीरता को देखते हुए पीसीसीएफ व कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट स्वयं मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। यह घटनाएं वन विभाग की सतर्कता और बुनियादी सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर कर रही हैं। जहां एक ओर सरकार वन्यजीव संरक्षण को लेकर गंभीर दावे कर रही है, वहीं ज़मीनी हकीकत इन दावों के विपरीत नजर आ रही है।
अब सवाल यह है कि क्या इस बार भी मौत की जांच फाइलों तक सीमित रह जाएगी या फिर वन्यजीव सुरक्षा को लेकर कोई ठोस नीति बनाई जाएगी? बिजली विभाग और वन विभाग के बीच तालमेल की कमी लगातार हाथियों की जान पर भारी पड़ रही है।




