कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन बनेगा रणनीतिक केंद्र, चार नई सुरंगों सहित निर्माण कार्य में और तेजी
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना पर 70% कार्य पूरा, 2027 तक ट्रैक बिछाने का लक्ष्य

देहरादून/कर्णप्रयाग। उत्तराखंड की सबसे महत्वपूर्ण व सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के तहत कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन को और अधिक सुदृढ़ व सुविधायुक्त बनाने की दिशा में काम तेज भी कर दिया गया है। अब स्टेशन पर 4 और ट्रैक भी बनाए जा रहे हैं, जो 2 नई सुरंगों के माध्यम से स्थापित भी होंगे। इसके लिए 611 करोड़ रुपये की लागत से टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं।
कर्णप्रयाग स्टेशन पर बनेंगे कुल 30 ट्रैक
पहले यहां 22 ट्रैक प्रस्तावित थे, जिन्हें बढ़ाकर 26 भी किया गया, और अब इन 4 अतिरिक्त ट्रैक के साथ स्टेशन पर कुल 30 ट्रैक हो जाएंगे। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह निर्णय सेना की रणनीतिक गतिविधियों व भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। चारों नए ट्रैक 2 सुरंगों के भीतर बनाए जाएंगे, और एक संपर्क मार्ग भी बनाया जाएगा जो सुरंगों को जोड़ने का कार्य भी करेगा।
सुरंगों और पुलों का कार्य भी तेजी से प्रगति पर
- घोलतीर से कर्णप्रयाग तक 70 फीसदी कार्य पूर्ण हो चुका है।
- घोलतीर-गौचर के बीच 7 किमी लंबी सुरंग की खुदाई पूरी हो चुकी है और फाइनल लाइनिंग का कार्य जारी है।
- गौचर-कर्णप्रयाग के बीच 6.3 किमी सुरंग का भी खोदाई कार्य पूरा हो गया है।
- अलकनंदा नदी पर बन रहे 340 मीटर लंबे पुल का 70% कार्य, और गदेरे पर बन रहे 126 मीटर पुल का 90% कार्य पूरा हो चुका है।
सुरंगों, ब्रेकथ्रू और पुलों की स्थिति
- परियोजना की कुल 213 किमी सुरंगों में से अब केवल 13 किमी की खुदाई शेष है।
- 16 सुरंगों में 46 ब्रेकथ्रू होने हैं, जिनमें से 40 पूरे हो चुके हैं।
- कुल 19 पुलों में से 8 पुल बनकर तैयार हैं, शेष 11 पर 60% से अधिक कार्य पूरा हो चुका है।
स्टेशन निर्माण और ट्रैक बिछाने की योजना
- परियोजना के अंतर्गत 13 रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं।
- वीरभद्र और योगनगरी स्टेशन पहले ही तैयार हो चुके हैं।
- शिवपुरी और ब्यासी स्टेशनों के लिए टेंडर जारी किए जा चुके हैं।
- शेष स्टेशनों के लिए तीन टेंडर और निकाले जाएंगे।
- देवप्रयाग, जनासू, मलेथा और श्रीनगर
- धारीदेवी, घोलतीर, तिलड़ी और गौचर
- कर्णप्रयाग के लिए अलग निविदा
- सभी स्टेशनों के निर्माण की अनुमानित लागत 550 करोड़ रुपये है।
- परियोजना के तहत 125 किमी लंबा ट्रैक 750 करोड़ रुपये की लागत से बिछाया जाएगा।
- यह कार्य इरकॉन इंटरनेशनल द्वारा 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है।
अधिकारी का बयान
ओपी मालगुड़ी, उप महाप्रबंधक (सिविल), आरवीएनएल ने बताया:
“परियोजना का कार्य बेहद तेज गति से भी किया जा रहा है। कर्णप्रयाग तक ट्रेन संचालन सुनिश्चित करने के लिए 70 प्रतिशत से अधिक काम भी पूरा हो चुका है। निर्धारित समयसीमा में कार्य पूर्ण करने के लिए हर संभव प्रयास भी किए जा रहे हैं।”