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उत्तराखंड में मलिन बस्तियों के सुधार के लिए तीसरी बार लाया गया अध्यादेश, पुनर्वास और नियमितीकरण की नई उम्मीद

प्रदेश की मलिन बस्तियों के सुधार, नियमितीकरण, पुनर्वास के लिए बीते बुधवार को तीसरी बार तीन साल का अध्यादेश आ गया। इससे पहले दो बार यानी छह साल के अध्यादेश में न तो मलिन बस्तियों का सर्वे पूरा हुआ और न ही सभी बस्तियां तीन श्रेणियों में अधिसूचित हो पाईं।

प्रदेश में मलिन बस्तियों को लेकर 2016 में अध्यादेश आया। उसमें स्पष्ट था कि 11 मार्च 2016 के बाद मलिन बस्तियों में रहने वाले अवैध माने जाएंगे। इससे पूर्व की बस्तियों का चिह्नीकरण करते हुए अधिसूचित की जाएंगी। उस हिसाब से ही उनका पुनर्वास या नियमितीकरण की प्रक्रिया होगी। आज तक केवल 155 बस्तियां ही अधिसूचित की गई हैं।

2018 व 2021 के बाद बीते बुधवार को तीसरी बार अध्यादेश लाकर मलिन बस्तियों को तीन साल की ऑक्सीजन मिल गई। शहरी विकास विभाग के मुताबिक, 582 में से प्रदेश में श्रेणी-1 यानी भू-स्वामित्व लायक 102, श्रेणी-2 यानी सुरक्षा दीवार आदि सुधार की छह और श्रेणी-3 यानी पूर्ण रूप से रहने लायक नहीं की 47 मिलाकर कुल 155 मलिन बस्तियां ही अब तक अधिसूचित हैं। सर्वे तो और भी बस्तियों का किया गया है लेकिन अधिसूचित नहीं हो पाई हैं। इस वजह से मलिन बस्तियों के पुनर्वास या नियमितीकरण को लेकर अब तक ठोस कामयाबी नहीं मिल पाई।

 

नैनीताल हाईकोर्ट ने नदी किनारे बसी 582 मलिन बस्तियों के अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए। 2016 में तात्कालिक कांग्रेस सरकार मलिन बस्तियों के नियमितीकरण को लेकर अध्यादेश लाई। 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए कि मलिन बस्तियों में रह रहे लोगों को वहां से हटाकर अन्य जगह पुनर्वासित किया जाए। सरकार ने 17 अक्तूबर 2018 को तीन साल के लिए अध्यादेश लाई। उसके बाद 2021 में फिर तीन साल के लिए अध्यादेश लाई। अब 2024 में भी अध्यादेश लाया गया।

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