उत्तराखंड

उत्तराखंड में मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा, किसानों को मिलेगा 80% अनुदान और प्रोत्साहन राशि

 

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने राज्य में मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में “राज्य मोटे अनाज नीति” को मंजूरी दी गई है। इसके तहत किसानों को चयनित मोटे अनाज की फसलों के बीज और उर्वरक 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध भी कराए जाएंगे। इसके साथ ही बुवाई के लिए ₹1500 से ₹4000 प्रति हेक्टेयर तक की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।

मंडुवा, झंगोरा, रामदाना की खेती को मिलेगा बढ़ावा

नीति के तहत राज्य में मंडुवा, झंगोरा, रामदाना, कौणी और चीना जैसी पारंपरिक फसलों की खेती को पुनर्जीवित करने पर भी जोर दिया गया है। इसका उद्देश्य न केवल किसानों की आय में वृद्धि करना है, बल्कि राज्य में तेजी से घटते मोटे अनाज के रकबे को बढ़ाना है।

सरकार ने कहा है कि यह नीति राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उत्तराखंड के मोटे अनाज को पहचान दिलाने में सहायक होगी।

134.89 करोड़ की कार्ययोजना, दो चरणों में होगा क्रियान्वयन

राज्य मोटे अनाज नीति को दो चरणों में लागू किया जाएगा:

  • पहला चरण (2025-26 से 2027-28): 24 विकासखंडों में 30,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खेती।
  • दूसरा चरण (2028-29 से 2030-31): 44 विकासखंडों में 40,000 हेक्टेयर तक विस्तार।

इसके लिए सरकार ने ₹134.893 करोड़ की कार्ययोजना तैयार की है।

प्रोत्साहन राशि का वितरण ऐसे होगा

  • पहला वर्ष: ₹4000/हेक्टेयर (पंक्ति बुवाई पर)
  • दूसरा वर्ष: ₹3000/हेक्टेयर
  • तीसरा वर्ष: ₹1500/हेक्टेयर

इसके अलावा, जैव उर्वरक, जैव कीटनाशक, जिंक और सूक्ष्म पोषक तत्वों पर भी 80 प्रतिशत अनुदान मिलेगा।

समूहों को भी मिलेगी अतिरिक्त सहायता

मोटे अनाज का उत्पादन करने वाले किसान समूहों को:

  • ₹300 प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि (पहले यह ₹150 थी)
  • 75 रुपये प्रति क्विंटल ढुलाई व्यय की प्रतिपूर्ति

उत्कृष्ट किसानों को मिलेगा सम्मान

प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर दो किसानों/समूहों को ₹10,000 का पुरस्कार दिया जाएगा, जो मोटे अनाज के संवर्धन में उल्लेखनीय कार्य करेंगे।

नई पहलें भी होंगी शामिल

  • प्रदेश में “न्यूट्री हब” के रूप में एक परियोजना प्रबंधन इकाई की स्थापना की जाएगी।
  • “श्री अन्न पार्क” की स्थापना के लिए निजी निवेशकों को आकर्षित किया जाएगा।
  • सांवा फसल के लिए भी राज्य स्तर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित किया जाएगा।
  • हर ब्लॉक में प्रसंस्करण इकाई स्थापित की जाएगी, जिससे स्थानीय स्तर पर मोटे अनाज का मूल्यवर्धन किया जा सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Doon Darshan