हरिद्वार में ‘स्वच्छता महायज्ञ’: कांवड़ मेले के बाद शुरू हुआ सफाई अभियान, डीएम-एसएसपी ने खुद उठाई झाड़ू
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हरिद्वार। कांवड़ मेले 2025 के शांत होने के बाद, हरिद्वार की धरती पर एक नई चुनौती उभर कर भी सामने आई — करीब 7000 मीट्रिक टन कूड़े का ढेर। करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के इस पर्व के बाद अब प्रशासन के सामने सबसे बड़ी जिम्मेदारी शहर को दोबारा स्वच्छ व व्यवस्थित बनाना है।
इस चुनौती में बदलते हुए जिलाधिकारी मयूर दीक्षित व एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोभाल खुद सफाई कार्य में उतर आए। तड़के सुबह घाटों, सड़कों व कांवड़ पटरी मार्ग पर ‘स्वच्छ हरिद्वार अभियान’ की शुरुआत हुई, जो अब जन आंदोलन का रूप भी ले चुका है।
प्रशासनिक टीम मैदान में, जनता भी जुड़ी अभियान से
इस महाअभियान में सिर्फ अधिकारी ही नहीं, बल्कि हजारों सरकारी कर्मचारी, घाट गोद लेने वाली संस्थाएं, स्वयंसेवी संगठन व युवा वर्ग भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। हरिद्वार नगर निगम, नगर पंचायत, नगर निकाय—सभी मिलकर सफाई के इस यज्ञ को सफल बनाने में भी जुटे हैं।
दो दिन में 80% सफाई पूरी, बाकी के लिए विशेष मुहिम
ईटीवी भारत से खास बातचीत में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि इस बार करीब 4.5 करोड़ कांवड़िये हरिद्वार में पहुंचे। प्रशासन ने पहले से ही 2 दिन में हरिद्वार को साफ करने का लक्ष्य भी रखा था, जिसमें अब तक 80 प्रतिशत सफलता भी मिल चुकी है। बचे हुए क्षेत्रों के लिए विशेष सफाई अभियान भी जारी है।
अलग-अलग विभागों की टीमें मिलकर काम कर रही हैं व फीडबैक लिया जा रहा है। जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि भविष्य में इस अभियान को मंथली या वीकली आधार पर चलाने की योजना भी है।
कूड़े में पॉलिथीन बनी चिंता का विषय
डीएम मयूर दीक्षित ने बताया कि कांवड़ यात्रा के दौरान मानसून सीजन के चलते कांवड़ियों ने पॉलिथीन से बने रेनकोट व चटाई का इस्तेमाल किया, जिससे कूड़े में पॉलिथीन की मात्रा भी बढ़ी। उन्होंने इसे पर्यावरण के लिए हानिकारक बताते हुए कहा कि आगामी कांवड़ यात्राओं में इसके विकल्प तलाशे भी जा रहे हैं, ताकि भविष्य में पॉलिथीन का उपयोग भी रोका जा सके।
“स्वच्छ हरिद्वार सिर्फ एक प्रशासनिक प्रयास नहीं, ये हर नागरिक की जिम्मेदारी है। आस्था के इस शहर को साफ व सुंदर बनाए रखना हम सबका कर्तव्य है।”
— मयूर दीक्षित, जिलाधिकारी हरिद्वार




