उत्तराखंड

टिहरी में 2017 में मिले प्राचीन हथियारों का अब तक नहीं हुआ विश्लेषण, जल्द होगी वैज्ञानिक जांच


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इतिहास हमें हमारी जड़ों, सभ्यता और क्रमिक विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी भी प्रदान करता है। इसी उद्देश्य से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) न केवल हमारी ऐतिहासिक धरोहरों को खोजता है, बल्कि उन्हें संरक्षित भी करता है। हालांकि, कई बार ऐतिहासिक धरोहरों को पहचानने व उनका अध्ययन करने में लंबा वक्त भी लग जाता है।

टिहरी में मिले हथियारों का इंतजार

टिहरी जिले के पिपोला ढुंग गांव में जून 2017 में सड़क परियोजना निर्माण के दौरान 84 तलवारों, भालों और खंजरों का पुरातात्त्विक खजाना मिला था। ये हथियार एएसआई ने कब्जे में लेकर आगे की जांच के लिए देहरादून के सर्किल कार्यालय भी भेज दिए थे। हालांकि, अब तक इन हथियारों के कालखंड और सामग्री के बारे में कोई ठोस जानकारी ही नहीं मिल पाई है।

खोदाई में मिले थे ये हथियार

ये हथियार चंपटोक-पिपोला सड़क परियोजना निर्माण के लिए की जा रही खोदाई में मिले थे। इसके बाद, एएसआई ने इन हथियारों को अपने कब्जे में लेकर उनका अध्ययन करना भी शुरू किया, लेकिन इनकी सही पहचान और विश्लेषण की प्रक्रिया में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हो पाई है।

जल्द होगा वैज्ञानिक विश्लेषण

एएसआई के सर्किल कार्यालय के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. मनोज सक्सेना ने जानकारी दी कि जल्द ही इन हथियारों को विभाग की विज्ञान शाखा में भेजा जाएगा, जहां उनका एक्स-रे फ्लोरोसेंस (एक्सआरएफ) कराया भी जाएगा। इससे इन हथियारों की उम्र, उनके निर्माण में प्रयुक्त धातु और उनकी बनावट का पता भी लगाया जाएगा। इसके बाद, अध्ययन के परिणामों के आधार पर इन हथियारों की खोज पर एक अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित भी की जाएगी।

आरटीआई से खुलासा

अजबपुर निवासी राजू गुसाईं ने आरटीआई के माध्यम से इन हथियारों की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी। एएसआई के सर्किल कार्यालय के अधीक्षण अभियंता राम किशोर मीणा ने बताया कि खोदाई में मिले ये हथियार अपनी पुरानी स्थिति में ही रखे गए हैं और फिलहाल इनका विश्लेषण नहीं हुआ है।

इन हथियारों का विश्लेषण होने के बाद, उम्मीद है कि प्राचीन धरोहरों की इस खोज को उनकी गुम पहचान वापस मिलेगी और यह हमें हमारे इतिहास की एक नई परत खोलने में मदद करेगा।


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