उत्तराखंड

देहरादून जेल में कैदियों की संख्या में आई गिरावट, जानिए क्या है इसकी सबसे बड़ी वजह

देहरादून। भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता 2023 (BNSC) के लागू होने के बाद देशभर में जेलों का भार अब धीरे-धीरे कम भी होने लगा है। खासकर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित सुद्धोवाला जिला कारागार में भी कैदियों की संख्या में उल्लेखनीय कमी भी दर्ज की गई है।

अक्टूबर 2024 में जेल में कुल 1212 कैदी थे, जिनमें विचाराधीन व सजायाफ्ता दोनों ही शामिल थे। अब विचाराधीन कैदियों को जमानत के जरिए राहत मिलने से यह संख्या घटकर 883 ही रह गई है। इससे जेल प्रशासन को सुरक्षा और प्रबंधन के लिहाज से काफी सहूलियत भी मिल रही है।

क्या है नया नियम?

भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता के तहत—

  • पहली बार अपराध करने वाले विचाराधीन कैदियों को अगर उन्होंने अपनी संभावित अधिकतम सजा का एक तिहाई समय जेल में काट लिया है, तो उन्हें जमानत भी मिल सकती है।
  • 7 वर्ष से कम सजा वाले अपराध में पुलिस बिना ठोस आधार के गिरफ्तारी ही नहीं कर सकती।

जेलों में भीड़ घटी, पारदर्शिता बढ़ी

नए कानून के प्रभाव से:

  • जेलों में भीड़ कम हो रही है, जिससे सरकारी खर्च की भी बचत हो रही है।
  • अंडरट्रायल कैदियों को न्याय प्रक्रिया में तेजी से राहत भी मिल रही है।
  • डिजिटल सिस्टम व सुधार नीतियों से जेल व्यवस्था में पारदर्शिता भी आई है।
  • बैरकों में सीमित संख्या में कैदी होने से मारपीट व झगड़े जैसी घटनाएं कम हुई हैं।

पुलिस के लिए चुनौतियां बढ़ीं

हालांकि, नया कानून पुलिस के लिए नई चुनौतियां भी लेकर आया है।

  • पहले आदतन अपराधियों को नशा तस्करी या आर्म्स एक्ट जैसे मामलों में गिरफ्तार भी किया जाता था।
  • अब इन मामलों में वीडियोग्राफी अनिवार्य ही कर दी गई है।
  • कोर्ट केवल उन्हीं मामलों में रिमांड स्वीकार कर रही है, जो गंभीर अपराधों से जुड़े भी हैं।
  • पुलिस अब बिना ठोस प्रमाण के किसी को हिरासत में नहीं रख सकती।

इस बदलाव से जहां जेलों में बंद कैदियों को न्यायिक प्रक्रिया का लाभ भी मिल रहा है, वहीं पुलिस को अधिक पारदर्शिता व साक्ष्य आधारित कार्यशैली अपनाने के लिए मजबूर भी होना पड़ रहा है। नया कानून आपराधिक न्याय प्रणाली को मानवतावादी और उत्तरदायी दिशा में ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम भी साबित हो रहा है।

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