सींगों से हुई पहचान या माथे के निशान से? उपभोक्ता आयोग में चला भैंस का मामला, बीमा कंपनी को चुकाना पड़ा मुआवजा
उत्तराखंड: भैंस के सफेद निशान और सींगों पर छिड़ा विवाद, उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को मुआवजा देने का आदेश दिया

नैनीताल | भैंस के माथे पर छोटे से सफेद निशान और उसके मुड़े हुए सींग बीमा दावे का निर्णायक आधार भी बन गए। एक अनोखे मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को आदेश भी दिया है कि वह मृत भैंस पर 65,000 रुपये का मुआवजा उसके मालिक को दे, क्योंकि कंपनी ने पहले दावा यह कहकर खारिज ही कर दिया था कि मृत भैंस व बीमा पॉलिसी वाली भैंस में अंतर भी है।
क्या था मामला?
नैनीताल निवासी सुंदर सिंह नेगी ने अगस्त 2021 में 2 भैंसें खरीदी थीं, जिनकी कीमत 80,000 रुपये भी थी। उन्होंने दोनों का 50-50 हजार रुपये का बीमा भी करवाया। साल 2022 में इनमें से एक भैंस की बीमारी से ही मौत हो गई। जब सुंदर सिंह ने बीमा कंपनी से मुआवजे की मांग की, तो ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी ने दावा ही खारिज कर दिया।
कंपनी का कहना था कि
मृत भैंस के फोटो में माथे पर सफेद निशान भी दिख रहा है, जो बीमा के समय लिए गए फोटो में ही नहीं था। साथ ही, कान में टैग की स्थिति भी अलग भी बताई गई।
भैंस मालिक ने क्या कहा?
सुंदर सिंह ने जवाब में कहा कि
सफेद निशान केवल साइड से दिखता था और लेटे समय ही नजर आता था। बीमा के फोटो में भैंस भी खड़ी थी, इसलिए वो निशान नहीं दिखा। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या एक छोटा सफेद निशान भैंस के मुड़े हुए सींगों से ज्यादा पहचान योग्य भी है? उन्होंने बताया कि बीमारी के कारण भैंस के बाएं कान से दाहिने कान में टैग बदलवाना भी पड़ा था, जिसकी सूचना समय रहते ही पशु चिकित्सा अधिकारी को भी दी गई थी।
आयोग का फैसला
राज्य उपभोक्ता आयोग की पीठ, जिसमें अध्यक्ष कुमकुम रानी व सदस्य बीएस मनराल शामिल थे, ने भैंस मालिक की दलीलों को तर्कसंगत मानते हुए बीमा कंपनी की अपील खारिज ही कर दी। आयोग ने कहा कि मृत भैंस के सींग बीमा वाली भैंस से मेल खाते हैं और टैग की स्थिति में बदलाव का कारण भी वैध है।
- 50,000 रुपये बीमा राशि का भुगतान बरकरार रखा गया।
- मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजा 20,000 से घटाकर 10,000 रुपये किया गया।
- मुकदमा खर्च 10,000 से घटाकर 5,000 रुपये।
- बीमा कंपनी पर लगाया गया 50,000 रुपये का जुर्माना हटाया गया, यह कहते हुए कि मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजा पर्याप्त है।