उत्तराखंड

सिलक्यारा सुरंग में पूजा-अर्चना के साथ ही सुरक्षात्मक कार्य भी शुरू हो गए हैं।

सिलक्यारा सुरंग में पूजा-अर्चना के साथ ही सुरक्षात्मक कार्य भी शुरू हो गए हैं। वहीं हादसे के बाद 17 दिन अंदर फंसा रहा पश्चिम बंगाल का एक मजदूर भी अब काम पर लौट आया है। बीते शुक्रवार को यहां सुरक्षात्मक कार्य से पहले एक पंडित से पूजा अर्चना भी करवाई गई। अधिकारियों का कहना है कि सुरंग के सिलक्यारा छोर से डी वाटरिंग शुरू करने में अभी एक सप्ताह का और समय लगेगा। उससे पहले सुरक्षा के लिए ह्यूम पाइप बिछाने सहित अन्य जरूरी काम भी किए जाएंगे। बीते नवंबर महीने में हुए भूस्खलन हादसे के बाद से सुरंग निर्माण का काम बंद है। 23 जनवरी को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कार्यदायी संस्था एनएचआईडीसीएल को सुरंग का निर्माण शुरू करने की अनुमति भी दी। जिसके बाद बड़कोट मुहाने से डी-वाटरिंग चालू कर दी गई थी, लेकिन सिलक्यारा छोर से भूस्खलन के मलबे के चलते यह काम शुरू ही नहीं हो पाया था। एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया अधिकारियों का कहना है कि इस छोर से सुरंग के सुदृढ़ीकरण के बाद से ही डी-वाटरिंग की जाएगी। डी वाटरिंग के बाद मलबा हटाने के उपरांत ही काम भी शुरू होगा। निर्माण की अनुमति मिलने के 10 दिन बाद बीते शुक्रवार को यहां पूजा अर्चना की गई। साथ ही कार्य में सफलता के लिए प्रार्थना कर प्रसाद बांटा गया। सुरंग में शुक्रवार को सुरक्षात्मक काम भी शुरू कर दिए गए हैं। सुरक्षा के लिए ह्यूम पाइप भी बिछाए जा रहे हैं। इसके बाद डी-वाटरिंग शुरू करने में एक सप्ताह का समय भी लगेगा। भूस्खलन हादसे के बाद सुरंग में 17 दिन फंसा रहा पश्चिम बंगाल के कूच बिहार निवासी मानिक तालुकदार काम पर भी लौट आया है। इलेक्ट्रिशियन मानिक ने बताया कि उन्होंने अपने साथियों को सुरंग निर्माण को अनुमति मिलने की जानकारी भी दी है। उनके 3 साथी रास्ते में हैं। अन्य साथी जल्द काम पर लौटेंगे। जो हुआ वह हादसा था, अब काम भी शुरू करना है।

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