ऐतिहासिक यूसीसी बिल को सदन में पास कराने की सरकार की रणनीति के आगे विपक्ष भी ज्यादा मीन-मेख नहीं निकाल पाया। बीते बुधवार को भोजनावकाश के बाद सरकार ने इसकी पृष्ठभूमि बनाने की पुख्ता तैयारी भी कर रखी थी, जो बखूबी नजर भी आई। इसमें जहां यूसीसी को बाबा भीमराव आंबेडकर का सपना बताया गया तो वहीं सरकार ने मंत्रियों, महिला विधायकों और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी से विधायक बने सदस्यों से विपक्ष को खामोश रखने की कोशिश की। भोजनावकाश से पहले विपक्ष की बहस का नजारा भी खूब दिखा, लेकिन 3 बजे से 6 बजे तक सदन में सत्ता पक्ष की रणनीति भी नजर आई। सबसे पहले बीजेपी विधायक अरविंद पांडे ने बेटियों का अपमान करने वालों को यूसीसी कानून मिट्टी में मिला देगा से शुरुआत की।इसके बाद कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कानून के ऐतिहासिक पहलुओं को सामने रखते हुए शायराना अंदाज कुछ तुम बदलो कुछ हम बदलें, तब ये जमाना बदलेगा… से माहौल को आगे भी बढ़ाया। कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने चर्चा के दौरान स्पष्ट किया कि उनके पास बहुमत भी है, फिर भी वह पूरी प्रक्रिया के तहत इस बिल को सदन तक लाए हैं। समय के हिसाब से इसमें संशोधन किए जाएंगे। इस दौरान विपक्ष ज्यादा विरोध की भूमिका में नजर ही नहीं आया। बिल पास होने से पूर्व कांग्रेस छोड़कर बीजेपी के टिकट से विधायक उमेश शर्मा काऊ, किशोर उपाध्याय समेत कई नेताओं ने सदन में बिल की पैरवी भी की। सरकार ने अपनी महिला विधायकों रेनू बिष्ट, सरिता आर्य, शैलारानी रावत को भी बिल के समर्थन में बोलने के लिए तैयार भी किया था। तीनों ने इस बिल को मातृशक्ति के लिए जरूरी करार देते हुए कानून की वकालत भी की। बताया, किस तरह से यह बिल बेटियों, महिलाओं के लिए ऐतिहासिक कामयाबी बन सकता है। सत्ता पक्ष के विधायकों ने चर्चा के दौरान इस बिल को देश के पहले कानून मंत्री व संविधान का जनक कहे जाने वाले भारत रत्न बाबा भीमराव आंबेडकर का सपना भी बताया। खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सदन में समान नागरिक संहिता को बाबा भीमराव आंबेडकर का सपना करार दिया। सरकार के इस दांव के सामने विपक्ष भी ज्यादा मीन-मेख निकालने की स्थिति में भी नजर नहीं आया। माहौल पूरा बनने के बाद सदन के नेता पुष्कर सिंह धामी ने करीब 1 घंटे तक बिल के समर्थन में अपनी बात भी रखी। इसके बाद बिल ध्वनिमत से पास हो ही गया। विपक्ष का कोई भी विरोध इस दौरान सामने नहीं आया।
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