2047 का विकसित भारत कोई सपना नहीं, एक लक्ष्य है: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का युवाओं को संदेश

नैनीताल। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कुमाऊं विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में छात्रों व शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए साल 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि यह केवल सपना नहीं, बल्कि युवाओं की सक्रिय भागीदारी से प्राप्त किया जाने वाला लक्ष्य भी है।
धनखड़ ने छात्रों से कहा कि
वे न केवल देश के लिए, बल्कि अपने लिए भी साल 2047 तक का लक्ष्य तय करें कि वे खुद को कहां देखना चाहते हैं। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे इस अभियान के कैटेलिस्ट (प्रेरक) की भूमिका भी निभाएं।
चुटीले अंदाज में दी गंभीर सीख
अपने सहज व हास्यपूर्ण अंदाज में उपराष्ट्रपति ने कुलपतियों को संबोधित करते हुए कहा,
“मुझे वाइस चांसलर से मिलकर अच्छा लगता है, कम से कम मैं अकेला नहीं हूं जिसके नाम में ‘वाइस’ शब्द है।” उन्होंने शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के दिल्ली आने की बात पर हँसते हुए कहा, “अब मंत्री जी को इसी माह या अगले सप्ताह दिल्ली आना ही पड़ेगा।”
संसद की स्मृतियों में भावुक हुए धनखड़
धनखड़ ने पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र सिंह पाल को याद करते हुए बताया कि वह 1989 में उनके साथ ही संसद में थे। उन्होंने बताया कि तब देश को आयात बिल चुकाने के लिए 47 टन सोना भी गिरवी रखना पड़ा था, जबकि आज भारत के पास 700 अरब डॉलर से अधिक का स्वर्ण भंडार भी है। इस दौरान वे डॉ. पाल को गले लगाकर भावुक भी हो गए।
आपातकाल की याद में प्रतियोगिता, विजेताओं को विशेष आमंत्रण
उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि
25 जून 1975 को देश में लोकतंत्र का गला घोंटा गया था। इस आपातकाल की त्रासदी को याद करते हुए उन्होंने विद्यार्थियों से इस विषय पर निबंध लेखन की अपील भी की। पहले 100 छात्रों को, जो विवि के माध्यम से निबंध भेजेंगे, उन्हें दो समूहों में अपने आवास पर लंच व संसद भवन का भ्रमण भी करवाया जाएगा। उन्होंने डॉ. महेंद्रपाल को इसमें विशिष्ट अतिथि के तौर पर आमंत्रित भी किया।
राज्यपाल को बताया देशभक्ति की मिसाल
धनखड़ ने राज्यपाल ले. जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा कि
वे 24 घंटे देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत रहते हैं। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे राज्यपाल के “रोज़गार के सृजक” बनने के आह्वान को आत्मसात भी करें।
संघर्षों से निकले धनखड़ ने युवाओं को दिलाया भरोसा
उपराष्ट्रपति ने अपनी संघर्षपूर्ण पृष्ठभूमि को याद करते हुए कहा कि
उनके गांव में कभी बिजली, पानी, अस्पताल, स्कूल और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं थीं, लेकिन आज के युवाओं के पास अपार संसाधन व अवसर हैं। उन्होंने युवाओं को इसका भरपूर लाभ उठाने और उद्यमशीलता के रास्ते पर चलने की सलाह भी दी।
कार्यक्रम में जीरोऑर फाउंडेशन के कुनाल ठाकुर, मानस तिवारी, शशांक तिवारी और अन्य मौजूद रहे।