मसूरी में श्रीलंकाई अधिकारियों के लिए सुशासन पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू, भारत-श्रीलंका संबंधों को मिलेगी नई मजबूती

मसूरी | नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (NCGG) द्वारा श्रीलंका के वरिष्ठ सिविल सेवकों के लिए आयोजित 11वां अंतरराष्ट्रीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम सोमवार से मसूरी में शुरू भी हो गया है। यह विशेष प्रशिक्षण सत्र 28 जुलाई से 8 अगस्त तक भी चलेगा, जिसमें श्रीलंका के 40 अनुभवी प्रशासनिक अधिकारी भारत के सुशासन मॉडल को नजदीक से भी जानने, समझने व अपनाने की दिशा में जुड़ेंगे।
विचारों का संगम, अनुभवों का आदान-प्रदान
कार्यक्रम का उद्घाटन NCGG के महानिदेशक डॉ. सुरेंद्र कुमार बगड़े ने ही किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम केवल एक प्रशिक्षण नहीं बल्कि विचारों व दृष्टिकोणों का संगम है, जहां भारत व श्रीलंका की प्रशासनिक सोच एक मंच पर आकर एक-दूसरे को समृद्ध भी करती है।
उन्होंने श्रीलंकाई अधिकारियों को सुझाव भी दिया कि वे नीतिगत संवादों, फील्ड विज़िट्स व इंटरएक्टिव सेशन्स में सक्रिय भागीदारी करें और भारत की योजनाओं और मॉडलों से जो सीखें, उसे अपने देश में लागू करने का प्रयास भी करें।
प्रशिक्षण में शामिल होंगे ये प्रमुख विषय
यह कार्यक्रम प्रशासनिक स्तर पर विविध विषयों को समेटे हुए है, जिनमें शामिल हैं:
- सुशासन के सिद्धांत और रणनीतियाँ
- लोक नीति निर्माण और क्रियान्वयन प्रक्रिया
- आयुष्मान भारत योजना का मॉडल
- डिजिटल इंडिया, ई-ऑफिस प्रणाली और भूमि अभिलेख डिजिटलीकरण
- पीएम गतिशक्ति योजना और नेतृत्व कौशल
- संवाद कला और प्रशासनिक नवाचार
भारतीय संस्थानों व स्थलों का शैक्षिक दौरा भी शामिल
प्रशिक्षण के दौरान श्रीलंकाई अधिकारियों को भारत के अग्रणी संस्थानों व प्रमुख योजनाओं का सीधा अनुभव भी कराया जाएगा। इस दौरान वे लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून विकास प्राधिकरण, मुज़फ्फरनगर जिला प्रशासन, पीएम गतिशक्ति अनुभव केंद्र दिल्ली, प्रधानमंत्री संग्रहालय व आगरा स्थित ताजमहल का दौरा भी करेंगे।
इन विजिट्स का उद्देश्य सिर्फ संस्थान देखना नहीं, बल्कि भारत के प्रशासनिक तंत्र को गहराई से भी समझना है।
भारत बन रहा है “ग्लोबल गवर्नेंस नॉलेज हब”
NCGG के अधिकारियों ने बताया कि
यह कार्यक्रम भारत को वैश्विक सुशासन ज्ञान केंद्र (Global Governance Knowledge Hub) के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक और कदम भी है। मसूरी में यह आयोजन भारत-श्रीलंका संबंधों को प्रशासनिक स्तर पर और मजबूत करने के साथ-साथ वैश्विक सहयोग, विश्वास व नेतृत्व की मिसाल भी बन रहा है।
श्रीलंका से लौटते वक्त ये अधिकारी भारत की प्रशासनिक दक्षता, नवाचार व समावेशी नीतियों से समृद्ध होकर अपने देश में नई सोच और ऊर्जा लेकर भी जाएंगे।