उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: आरोपी की उम्र पर संदेह होने पर पहले होगी जांच

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश जारी करते हुए कहा है कि यदि किसी आरोपी की उम्र को लेकर संदेह हो, तो मजिस्ट्रेट या संबंधित न्यायालय सबसे पहले उसकी उम्र की ही जांच करेंगे।
यह आदेश हरिद्वार से जुड़े एक हत्या के मामले की सुनवाई के दौरान ही आया। दरअसल, इस मामले में आरोपी घटना के समय महज 14 साल 7 माह 8 दिन का ही था। कोर्ट ने उसे नाबालिग मानते हुए अब पूरा मामला किशोर न्याय बोर्ड को भी भेज दिया है। इससे आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का लाभ भी मिलेगा।
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की एकलपीठ ने स्पष्ट किया कि भविष्य में किसी भी आरोपी की उम्र का निर्धारण जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल रजिस्टर और यदि ये उपलब्ध न हों, तो चिकित्सकीय परीक्षण के आधार पर ही किया जाएगा।
सजा और जमानत पर आदेश
कोर्ट ने कहा कि
आरोपी की सजा पर लगी रोक और जमानत आदेश यथावत ही रहेंगे। साथ ही, निचली अदालत का पूरा रिकॉर्ड किशोर न्याय बोर्ड को भेजने के निर्देश भी दिए।
रजिस्ट्री को विशेष निर्देश
हाईकोर्ट ने महापंजीयक (रजिस्ट्री) को आदेश दिया कि इस फैसले की प्रति सभी ट्रायल कोर्ट्स, मजिस्ट्रेट न्यायालयों, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सेशन्स कोर्ट व विशेष न्यायालयों को भी भेजी जाए।
भविष्य में किसी भी मामले में प्रथम रिमांड के समय आरोपी की उम्र सुनिश्चित करना अनिवार्य ही होगा।