उत्तराखंड में आयोजित राष्ट्रीय खेलों ने न केवल खेल प्रेमियों के लिए रोमांचक पल पेश किए, बल्कि राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी राष्ट्रीय मंच पर एक नई पहचान भी दिलाई है। यहां की पारंपरिक वेशभूषा, लोक संस्कृति और परंपराओं को इन खेलों के माध्यम से देशभर से आए खिलाड़ियों और दर्शकों के सामने प्रस्तुत भी किया जा रहा है, जो राज्य की पहचान को और भी मजबूती दे रहा है।
मोनाल को मिली राष्ट्रीय पहचान
इस ऐतिहासिक अवसर पर उत्तराखंड के राज्य पक्षी, मोनाल को ‘मौली’ के रूप में प्रस्तुत कर उसे राष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में अहम कदम भी उठाए गए हैं। खेलों के दौरान, मोनाल का रूप और इसकी सुंदरता खिलाड़ियों और दर्शकों में उत्साह और जोश भर रही है, जो आयोजन के आकर्षण का एक बड़ा हिस्सा भी बन गया है।
मौली के स्टैच्यू से खेलों में नई ऊर्जा
महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज सहित 20 से ज्यादा स्थानों पर मौली के स्टैच्यू लगाए गए हैं। ये स्टैच्यू न केवल खेल आयोजन की शोभा बढ़ा रहे हैं, बल्कि खिलाड़ियों और दर्शकों के बीच खास आकर्षण का केंद्र भी बन चुके हैं।
खेल मैदान में मौली का जलवा
मौली का आकर्षण खेल मैदान में खिलाड़ियों और दर्शकों के बीच उत्साह और उमंग को और भी बढ़ा रहा है। खिलाड़ी अब न केवल मौली के साथ सेल्फी ले रहे हैं, बल्कि पहाड़ी गीतों पर थिरकते हुए खेलों का आनंद भी उठा रहे हैं। इस तरह से, उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर और खेलों का संगम एक अनोखी ऊर्जा का सृजन भी कर रहा है।
उत्तराखंड का यह कदम ना केवल राज्य की सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि खेलों के प्रति लोगों के उत्साह और जुड़ाव को भी बढ़ा रहा है।