दीपावली से पहले अलर्ट मोड में उत्तराखंड वन विभाग, उल्लू तस्करी पर कसी जा रही है निगरानी
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देहरादून : दीपावली जैसे प्रमुख पर्व से पहले उत्तराखंड वन विभाग ने वन्यजीव तस्करी की संभावनाओं को देखते हुए निगरानी व्यवस्था को और मजबूत कर दिया है। विभाग ने इंटेलिजेंस नेटवर्क सक्रिय करते हुए चिड़ियाघरों, संरक्षित वन क्षेत्रों और संवेदनशील स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। दीपावली के आसपास उल्लू तस्करी की घटनाओं की आशंका ज्यादा रहती है। अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र में उपयोग के चलते यह समय तस्करों के लिए संवेदनशील माना जाता है। यही कारण है कि वन विभाग इस समय पूरी तरह अलर्ट मोड में आ जाता है।देहरादून चिड़ियाघर के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. प्रदीप मिश्रा ने बताया:
“हर साल दीपावली के आस-पास उल्लुओं की तस्करी के प्रयास सामने आते हैं। अंधविश्वास की वजह से तस्कर सक्रिय हो जाते हैं। इसे रोकने के लिए चिड़ियाघर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और CCTV निगरानी को और भी मजबूत किया गया है।”
वन विभाग की क्विक रिस्पॉन्स टीम, इंटेलिजेंस विंग और फॉरेस्ट गार्ड्स फिलहाल 24 घंटे गश्त कर रहे हैं। विभाग ने संभावित हॉटस्पॉट की पहचान की है जहां वन्यजीवों की तस्करी हो सकती है।
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संरक्षित वन क्षेत्र
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टाइगर रिजर्व
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देहरादून, हरिद्वार, रामनगर जैसे संवेदनशील ज़ोन
इन सभी स्थानों पर गुप्त निगरानी और फील्ड पेट्रोलिंग की जा रही है। उल्लू सिर्फ एक पक्षी नहीं, बल्कि कृषि और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
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यह फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को खाते हैं
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इनका संरक्षण पर्यावरणीय संतुलन के लिए बेहद जरूरी है
वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत उल्लू का शिकार और तस्करी अपराध की श्रेणी में आता है, जिसके लिए कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान है। वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि यदि किसी को वन्यजीवों की तस्करी, शिकार या अवैध व्यापार से जुड़ी कोई गतिविधि दिखाई देती है, तो तुरंत नजदीकी वन कार्यालय या वन विभाग की हेल्पलाइन पर सूचना दें।
“दीपावली के समय किसी भी तरह की अवैध वन्यजीव गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
— उत्तराखंड वन विभाग
उत्तराखंड वन विभाग की यह सतर्कता दीपावली के समय वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उल्लू जैसे संवेदनशील पक्षी को बचाने के लिए सुरक्षा, पेट्रोलिंग और जन-जागरूकता कार्यक्रम तीनों मोर्चों पर काम किया जा रहा है।




